चेतन भगत "Five Point Someone " और "Three Idiots "

पिछले कुछ दिनों से देखने सुनने और पढने को मिल रहा था चेतन भगत, three idiots, विधु विनोद चोपरा एवं चेतन भगत के अंग्रेजी उपन्यास "five Point Someone " से जुड़े हुए तथ्य और खबरों के बारे में.

श्रीमान चेतन भगत जी अपने ब्लॉग पर लिखते हैं की उनके साथ अन्याय हुआ है, उनका कहना है की उनके उपन्यास पर फिल्म बनाने के लिए विधु विनोद चोपरा जी ने उनसे उपन्यास पर फिल्म बनाने के अधिकार खरीदे हैं, और उसके लिए पूरे पैसे भी दिए हैं लेकिन उन्हें इस बात का क्रेडिट नहीं दिया जा रहा है की यह फिल्म उनके उपन्यास पर आधारित है.

मैंने खुद "Five Point Someone " को पढ़ा है और मै इस बात से सहमत नहीं हूँ की "three idiots" चेतन भगत के उपन्यास "Five Point Someone " पर आधारित नहीं है. कहानी में कुछ परिवर्तन अवश्य है लेकिन वे परिवर्तन उपन्यास को फिल्म में बदलने के लिए अत्यं आवश्यक थे लेकिन जो मूल बात होती है वो होती है किसी भी कहानी की अतमा जो की बिलकुल भी नहीं बदली है, जिन्होंने "Five Point Someone " को पढ़ा है जानते हैं की दोनों ही कहानियों की आत्मा एक ही है और उनकी प्रस्तुती भी वही है.

यदि दोनों कहानियों में कही पूरी तरह से अंतर है तो वो है कहानी के अंत में लेकिन हमारी हिंदी फिल्मो में हमेशा नायक को नायिका मिल जाती है और अगर इस कहानी में नायक और नायिका दोनों एक दुसरे से अलग रह जाते तो शायद ये फिल्म २ शुन्य वाले करोडो के जादुई आंकड़े को न छु पाती और तब शायद इतना बवाल भी नहीं मचता.

उपर कही हुई बातो से मैंने फिल्म के निर्माता और निर्देशक को गलत ठहरा दिया है और मै उनके इस सफ़ेद झूठ से कतई सहमत नहीं हूँ की यह फिल्म "Five Point Someone " उपन्यास पर आधारित नहीं है.

आब बात करे चेतन भगत जी की तो उनका कहना है की उनके साथ ऐसा व्यव्हार कई बार किया गया है, उन्हें क्रेडिट ना देने के लिए फिल्म के निरमाता और निर्धेसक द्वय ने काफी कोशिश की थी, उन्हें फिल्म नहीं देखने दी गई, गई बार उनका अपमान किया गया, पर ये बात मेरे गले से निचे नहीं उतरती.

श्री चेतन भगत जी एक उपन्यासकार है, कई राष्ट्रीय अखबारों में स्तम्भ लेखक है और उनके स्तंभों को कई चाहने वाले बड़े ही दिल से पढ़ते हैं. वे काफी अच्छा लिखते हैं तथा उनके उपन्यास बेस्ट sellar रह चुके हिने तब भी यदि वे ये कहे की उनके साथ ऐसा कई बार हुआ है की उनका निर्माता और निर्धेशक द्वय ने अपमान किया है तो मुझे बड़ा ही अस्चार्य होता है की उन्होंने पहले मुह क्यों नहीं खोला.

मै उन्हें काफी लम्बे समय से soceial networking साईट Twitter पर पढता रहा हूँ और जब फिल्म रिलीज़ होने वाली थी तब वो इस सब से बहोत ही खुश थे. उन्होंने कहा की वो इस सब को काफी उत्साह पूर्वक स्थिति से देख रहे हैं और कैफ आशावान है. मै आश्चर्य चकित हूँ की भगत साहब किस बात के लिए उत्साहित थे. फिल्म के जनता के बीच जाने के बाद अपने रोने गाने के लिए. मुझे नहीं लगता की भगत साहब को अपनी बात कहने के लिए किसी माध्यम की कमी थी पर मुझे उनकी नियत पर एक संधेह दीखता है.

इतना सब लिखने के बाद भी मै यही कहूँगा की निर्माता और निर्देशक ने भगत साहब को उनके काम का नाम ना देकर अनैतिक काम करा है लेकिन जो भगत साहब कर रहे हैं वो भी मुझे नैतिक नहीं जान पड़ता. यदि भगत साहब को साडी शिकायते दो साल से थी तो क्यों उन्होंने पहले मुह नहीं खोला. मै समझता हूँ की यदि भगत साहब पहले मुह खोलते तो एक बीच का नैतिक रास्ता निकला जा सकता था.

अब चूंकि मै चेतन साहब से सहमत नहीं हूँ तो दैनिक अखबारों में आने वाले उनके द्वारा लिखित स्तंभों को पढने के पहले ये सोचना पड़ेगा की क्या ये सारे स्तम्भ दिल से लिखे गए हैं या फिर ये सब एक लेखक की कलपना शक्ति का प्रदर्शन है.

मै ये सब किसी को गलत या सही बताने के लिए नहीं लिख रहा हूँ ये सिर्फ मेरी सोच है एक अंजान व्यक्ति की छोटी सी सोच. और मेरे कुछ भी कहने या लिखने से इन बड़े नामो को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन अपने को क्या मुझे लिखना था तो लिख दिया

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